होली
होली
फिर सोंधी सी खुशबू आई।
मस्त मलंग चली पुरवाई।।
मौसम ने भी ली अंगड़ाई।
आई आई होली आई।।
महका भू का कोना कोना।
उगले धरती हर सू सोना।।
पीत वर्ण के खिल गए फूल।
उड़ती रंग रंगीली धूल।।
मठरी गुझिया मात बनाती।
दीदी सबको रंग लगाती।।
रंग नहीं बाहर से लाना।
फूलों से तुम इसे बनाना।।
टेसू के फूलों को लाओ।
नारंगी अब रंग बनाओ।।
लाओ गेंदा गहरा पीला।।
रंग मिले पीला चमकीला।।
पत्ती हरे पेड़ की लाओ।
हरा रंग सब उससे पाओ।।
फूलों से बन कर के सारे।
रंग मिलेंगे हमें हमारे।।