विरासत
विरासत
मेरी माँ ने मुझे अपना सब हुनर दे दिया।
उनमें भी सबसे ज्यादा;अपनी पाककला का गुर दे दिया।
यूँ तो हर माँ गुणों की खान होती है।
पर किसी एक गुण से इंसान की अपनी पहचान होती है।
मेरी माँ की हर बात में कुछ ऐसा जादू था।
जिससे लगता था इस जहां के हर जर्रे पे बस मेरा ही काबू था।
मुझे छोड़ के वो इस जहां से चली गई है।
पता ही नहीं चलता, क्या देके गई है, क्या लेके गई है।
विरासत में मिले गुण मैं अपनी बेटी को सिखा रही हूँ
मेरी माँ की दिखाई हुई राह, अब मैं उसका दिखा रही हूँ।
जब माँ बुलाती, न जाने के मैं नित नए बहाने बनाती
आज मैं जाने को तैयार हूँ पर कहीं से भी उसकी आवाज नहीं आती।