कुदरत
कुदरत
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लो भोर हुई पंछी चहके
अब फूलों के भी मन बहके।
जब तितली ने ली अंगड़ाई
तब चली कौन सी पुरवाई।
यह पूरब से पश्चिम की है
या उत्तर से दक्षिण की है।
अंबर में छाई अरुणाई
ज्यों रक्त कुसुम की परछाई।
जब पंछी से पंछी बोला
तब तरु ने अपना कर खोला ।
माँ ने चूजे को समझाया
कुदरत का अंतस दिखलाया।
