मन का अस्तित्व
मन का अस्तित्व
अहम मिटा दो अपने मन से,
फिर मुस्कान तुम्हारी है।
हर प्राणी में गुणवत्ता है,
ऐसी सच सोच हमारी है।
कोई पूरण है....संपूर्ण है,
कोई प्रेरक है......उत्प्रेरक है,
कोई स्वामी है....कोई गामी है।
कोई पावन मन का धामी है।।
अहम मिटा दो अपने मन से,
फिर मुस्कान तुम्हारी है।
हर प्राणी में गुणवत्ता है,
ऐसी सच सोच हमारी है।
कोई पूरण है....संपूर्ण है,
कोई प्रेरक है......उत्प्रेरक है,
कोई स्वामी है....कोई गामी है।
कोई पावन मन का धामी है।।