संख्या १०
संख्या १०
इतना आसान नहीं जिंदगी जीना।
पचपन तो दूर की बात।
कदम, कदम पर बेवफाई, छलावा।
सब करें ठीक मैं करूं भूल
सबको मनाते मनाते कट गई उम्र।
किसकी सूनो किसको नज़र अंदाज़।
ना बेटी, ना बहू,ना पत्नी, ना मां।
हर रिश्ते में दरार।
मुश्किल है जीना, रिश्ते निभाना।
ऐसा कुछ रूह कांपने वाला
याद भी जिंदगी में है।
पचपन तक का सफर तय करना
मुश्किल है तुम्हारे बिना।