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Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

युग बीत गए

युग बीत गए

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सुनते सुनाते युग बीते, 

बीते कई काल।

उम्र भले ही बीतती रही

 हो ,

लेकिन जीवन का है अब भी वही हाल।

माया, मोह, तृष्णा ,लोभ मोह कम ना हुआ।

बच्चे भले ही बड़े हो गए हों,

बड़े भले ही दुनिया से चले गए हो,


लेकिन उलझनों और व्यस्तताओं का

दौर तो कभी कम ना हुआ।

वह जो कथाओं में सुना था,

युगों पहले श्रीकृष्ण ने कहा था,

कर्मों पर ध्यान देना और

फल की चिंता ना करना।

वह जो पुराणों से था जाना

कि परमात्मा में ध्यान लगाना।


परोपकार करके समाज के काम आना।

अहंकार और मद में भूल गए थे कि

एक दिन खुद को भी है यहां से जाना।

यूं ही दुनिया की सुनते सुनाते

जीवन की कितनी अवस्थाएं कर ली है पार।

बेचैन मना अब भी है, 

हे परमात्मा अब वृद्धावस्था में कैसे सुधारें अपना हाल ?


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