रासते जुदा
रासते जुदा
रास्ते जुदा थे
मंज़िले एक थी
दिलो का टूटना
नसीब का खेल।
प्यार दोनों को
उम्मीद दोनों को
एक रोज मिलेंगे
नसीब पर छोड़ा।
दिलो के बंधन
यू नही बन्धते
डोर ऊपर वाला
रखता अपने पास।
रास्ते कभी मिलेंगे
यह हम जानते नहीं
अब हिम्मत ही नहीं
की ये रास्ते फिर एक हो।