रुक जाइये न
रुक जाइये न
रुक जाइये न, नज़र मिलाइये न,
इस तरह मुँह फेर कर जाइये न,
कभी तो बात करों अपनी तन्हाई की
इस तरह तनहा को सताइये न।
कब से रस्ते का पत्थर बना पड़ा हूँ
इस तरह ठोकर मुझे मार जाइये न,
रुक जाइये न, नज़र मिलाइये न,
इस तरह मुँह फेर कर जाइये न।
जो तेरे क़ल्ब में अब कोई जगह नहीं
तो इस तरह रूठकर जाइये न,
मिल जायेंगे बहुत चाहने वाले दुनियां में
इस चाहने वाले से कुछ फ़रमाइये न।
रुक जाइये न, नज़र मिलाइये न,
इस तरह मुँह फेर कर जाइये न,
देखो मिट गया नाम मेरा तुम्हारी ज़ुबा से
मैं अब कैसे "तनहा" जीऊंगा बताइये न।
चलों चले जाओ अब तुम्हे जाना ही है
पर देखों अब लौटकर कभी आइये न,
रुक जाइये न, नज़र मिलाइये न,
इस तरह मुँह फेर कर जाइये न।