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Pushpanjali A B

Drama

5.0  

Pushpanjali A B

Drama

जश्र-ए-नया साल

जश्र-ए-नया साल

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लो अब आ गया फिर से नया साल;

"नववर्ष के संकल्प" का वही बवाल !

मन में आशाओं का उठा नया उबाल,

क्या इस वर्ष होगी लक्ष्यपूर्ति, वही सवाल;

उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल !


बढ़ता हुआ यह कमर का घेरा,

वजन घटाने का पुराना ध्येय मेरा,

लगता है ये सुखद स्वप्न रहेगा अधूरा !

क्या फिर रहेगा तोंद का वही हाल ?

उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल !


विदेश भ्रमण की इच्छा क्या होगी पूरी,

कश्मीर जाए या फिर घूमें कन्याकुमारी,

क्या कम होगी पर्यटन से दिलों की दूरी ?

या फिर से मिलेगी घर की ही दाल;

उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल !


सोचती हूँ इन्हें बढ़ाऊँ या करूँ काला,

रंगादूँ इन्हें सुनहरा लाल, हरा या पीला;

या कोई आधुनिक कट करूँ रंगीला;

पर सर पे बचे हैं अब दो ही बाल;

उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल !


बढ़ती हुई उम्र ना बना दें दादी,

मुश्किल से मिली है हमें ये आज़ादी;

स्मार्ट बनूँ छोड़ के ये वेषभूषा सादी,

बदलेगी क्या इस उम्र में मेरी चालढ़ाल ?

उफ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल !


क्यूँ ख्वाहिशों पे बांधे तारीखों का सेहरा ?

पल दो पल की ज़िंदगी हैं जी ले ज़रा,

क्या ये वक्त कभी है किसी के लिए ठहरा,

थाम लो ये लम्हें, तभी हम होंगे खुशहाल;

रोक लो इसे, ना बीत जाए ये नया साल !


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