STORYMIRROR

Pushpanjali A B

Inspirational

5.0  

Pushpanjali A B

Inspirational

"जश्र-ए-नया साल"

"जश्र-ए-नया साल"

1 min
486


लो अब आ गया फिर से नया साल,

"नववर्ष के संकल्प" का वहीं बवाल!

मन में आशाओं का उठा नया उबाल,

क्या इस वर्ष होगी लक्ष्यपूर्ति, वहीं सवाल

उफ़ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल!


बढ़ता हुआ यह कमर का घेरा,

वजन घटाने का पुराना ध्येय मेरा,

लगता है ये सुखद स्वप्न रहेगा अधूरा!

क्या फिर रहेगा तोंद का वहीं हाल?

उफ़ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल!


विदेश भ्रमण की इच्छा क्या होगी पूरी,

कश्मीर जाए या फिर घूमे कन्याकुमारी,

क्या कम होगी पर्यटन से दिलों की दूरी?

या फिर से मिलेगी घर की ही दाल?

उफ़ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल!


सोचती हूँ इन्हें बढ़ाऊं या करूँ काला,

रंगा दूँ इन्हें सुनहरा लाल, हरा या पीला,

या कोई आधुनिक कट करूँ रंगीला;

पर सर पे बचे हैं अब दो ही बाल!

उफ़ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल!


बढ़ती हुई उम्र ना बना दे दादी,

मुश्किल से मिली है हमें ये आज़ादी;

स्मार्ट बनू छोड़ के ये वेषभूषा सादी,

बदलेगी क्या इस उम्र में मेरी चाल ढाल?

उफ़ क्यूँ फिर आ गया ये नया साल!


क्यूँ ख्वाहिशों पे बांधे तारीखों का सेहरा?

पल दो पल की ज़िंदगी है जी ले ज़रा,

क्या ये वक्त कभी है किसी के लिए ठेहरा,

थाम लो ये लम्हें, तभी हम होंगे खुशहाल!

रोक लो इसे, ना बीत जाए ये नया साल!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational