STORYMIRROR

Pushpanjali A B

Others

5.0  

Pushpanjali A B

Others

ये कैसी विडंबना?

ये कैसी विडंबना?

1 min
511




कैसे मनाते हैं आप जागतिक महिला दिन?

क्या आज फ़िर है महिला उतनी ही दीन?


क्या आज भी किचन से होगी शुरूआत,

वही सब्जी रोटी, वही रोज़ का दालभात,

क्या आज भी रसोई में वही रहें पीसती,

आज दिलाओं उसे इस चूल्हे से मुक्ति!


ऑफिस में अफसरों का वहीं ताना बाना,

उसे उसकी कमीयों का एहसास दिलाना,

आज उसे मिलाए उसकी उपल्बधीयों से,

उन तारीफ़ों से जिनकी हकदार वो सदीयों से!


क्या आज भी है उतना उन सीटीयो में ज़ोर,

या फिर उन छींटाकशी भरी आवाज़ों का शोर,

क्या आज भी घिरेगी वो अश्लील निगाहों से,

आज दिलाओं मुक्ति ऐसी असहज राहों से!


आज चाहे वो आ जाए वहीं बचपन पुराना,

जोरों से खुल के हँसना और खिलखिलाना,

बच्चों की भांति ना हो कोई जिम्मेदारी,

मिल जाए मुक्ति आज झंझटों से सारी!


क्या आज मिलेगा उसे समय खुद का सारा,

सम्मान का पद,हमसफर का सहयोग प्यारा,

उसे चाहिये सखियों के खट्टे मीठे बोल

यह एहसास दिलाते हुए की वह है अनमोल!


साहस और बल पहचानों आज की नारी,

ठान लें तो है वह सब पुरूषों पर भारी,

पर क्या यह जीवन है या कोईं अंधी दौंड़,

उसे जिताने की क्यूं लगा रखी है होड़?


वह पहचान लें की वह खुद ही हैं शक्ति,

उसे बस पानी है अपने भीतर के डर से मुक्ति,

वो दुर्गा,सरस्वति,लक्ष्मी, ना अबला ना दीन,

सर्वस्व है उसका मत दो बस एक दिन!!!


Rate this content
Log in