क्या नाम दूँ ?
क्या नाम दूँ ?
तेरा मिलना मुझे आज भी याद है
पता नहीं छलावा था
या था प्यार !
मेरे दिल की तारों में
जो मीठा सा दर्द भरा
राग था छेड़ गया।
जैसे...
बेजान शरीर में
जान आ गयी हो।
ख़ुश्क होठों पर
कई सवाल उभरे
और पल भर में ही
कहीं लोप हो गए।
शायद तेरा ये पहला और
आख़िरी मिलना था
बता ! इस बेनाम
अनजाने रिश्ते को
क्या नाम दूँ ?