तन्हा तेरे दामन में
तन्हा तेरे दामन में
तन्हा तेरे दामन में बिखर जाऊँ,
फिर मौत नज़र हँसी में मिला के कर दे,
तन्हाई तेरी आँखों में ठहर जाऊँ,
फिर ज़हर ज़रा, आँखों में मिलकर भर दे,
ज़िंदगी से छीन लूँ खामोशियाँ,
फिर जो ज़िंदगी, हँसकर मेरे नाम कर दे,
हुस्न की महफ़िल में मच जाये शोर,
फिर जो हुस्न तू, आदाब सर-ए-आम कर दे,
महफ़िल कहीं तन्हा न बन जाये चोर,
आगाज़ तू ज़रा, ये खामोश पर्दा कर दे,
तजुर्बों की किरणों की बोछार-सी है,
फिर रात तू, चांदनी को मध्यम कर दे,
आँखे झुंझुला रही है रौशनी से अब,
फिर तन्हा तू, तारों की महफ़िल कर दे,
तन्हा तेरे दामन में बिखर जाऊ,
फिर मौत नज़र हँसी में मिला के कर दे,