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शशांक मिश्र भारती

Classics

4  

शशांक मिश्र भारती

Classics

मां

मां

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415


01-

देवि ही देवि

कल्याण है करती

मन हो सच्चा।

02-

ज्ञानी गुणी हैं

मूढ़ भी बनजाते

मां की कृपा।

03-

करो याद तो

निर्भय कर देती

हरे गरीबी।

04-

सिद्धि दायिनी

शक्ति समन्वय

मां कल्याणी।

05-

तुम प्रसन्न

दुख दर्द न रहें

धनी विपन्न।

06-

देवि अम्बिके

त्रय लोकेश्वरि मां

हम भजते।

07-

रोग नाशक

आश्रय है सबको

युवा बालक।

08-

ऊँ सती साध्वी

आर्या जया पुनीता

शूल धारिणी।

09-

मन : विचित्रा

आद्या दुर्गा भवानी

तारिणी चित्रा।

10-

सदा शोभिनी

पिनाक धारिणी मां

वाक् दायिनी।

11-

दक्ष नाशिनी

बहुवर्णी देवि मां

भव मोचनी।

12-

ऐन्द्री कौमारी

वाराही माहेश्वरी

विशाला ग्राही।

13-

 मां उत्कर्षिणी

चण्डमुण्ड मारिणी

सर्वास्त्रधरिणी।

14-

शंकर वरी

कुमारी कन्या शैवा

ज्वालदंशिनी।

15-

रौद्र रूप हो

काल कराली काली

कालरात्रि हो।

16-

ब्रह्म की छाया

शिवदूती प्रत्यक्षा

तपस्वी माया।

17-

हो नारायणी

भद्रकाली मां तुम

क्लेश हारिणी।

18-

शुंभ निशुंभ

महिषमर्दिनी मां

देवि मतंग।

19-

शैलपुत्री मां

कष्टों को हैं हरती

सिद्धिदात्री मां।

20 -

नौ रुचिर

नाम देवि के भजें

चर अचर। ।



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