गुलमोहर
गुलमोहर
गुल मैं और गुलमोहर हो तुम
दिल की एक धरोहर हो तुम ,
डूबता रहा सदिओं से जिसमे
वह सुंदर सा सरोवर हो तुम ,
न धूमिल हुई छवि कभी मन से
तितली सी मधुर मनोहर हो तुम
उमड़-घुमड मन को लचकाती
अविरल बहती नहर हो तुम
साँस अधूरी तुम बिन हर पल
इस दिल की शामो-शहर हो तुम !