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Pooja Joshi

Drama

5.0  

Pooja Joshi

Drama

मैं औरत हूं

मैं औरत हूं

2 mins
548


अभी भी अपने को जीवित करने को लड़ती हूं

जिंदा हूं पर लाशों के जैसे ही मिलती हूं।

मैं अपने हक के लिए लड़ती हूं

युगों-युगों से में कुर्बानी के लिए जानी जाती हूं।


आज अपने बलिदानों के निशानों को ढूंढती हूं

लड़ती हूं, मरती हूं अपने हक को ढूंढती हूं।

मुझे समझ पाना तेरे लिए मुश्किल ही रहा।

अगर समझ जाता तो यूं

अपने को महान ना बताता होता।


मैं तेरे लिए आज भी अबला नारी हूं

तू क्या समझे नादान,

मैं कल भी तुझ पे भारी थी,

मैं आज भी तुझ पे भारी हूं।


संस्कारों की स्याही में डूबी कलम हूं मैं

तुमको कोरा कागज बना रंग भरती हूं।

कभी ना उतार पयोगे तुम ये भार मेरा

आज भी अपनी कोख से तुमको जनती हूं।


किसी वियोग में जब आते हो

बस मुझे ही अपना सहारा बनाते हो।

तुमसे मैंने अपने सपने बांधे हैं

कुछ पूरे कुछ आधे हैं।


फिर भी ना रोती हूं

तेरी ख़ुशी में ही खो जाती हूं।

आज भी अपने हक़ कि लड़ाई में अकेली हूं

गम नहीं की कोई साथ नहीं।


फिर भी तेरे साथ को पाने को तरसती हूं

माना कि आज मेरी हालत में कुछ सुधार है।

पर आज भी अपना हक पाने को

दिल बेकरार है।


कभी तुम क्यों मुझे समझ नहीं पाए

आज तुम्हें बताती हूं।

देखा तुमने वही तुम कह रहे हो

अगर बचपन में मां अपने हक को लड़ जाती।

आधी जंग तो मैं यूं ही जीत जाती।


जब-जब बात आती कुर्बानी की तो

तुमको में याद आती।

फिर मेरी कुर्बानी तुमको

बड़ा होने का एहसास दिलाती।


मेरे बलिदानों को ना तुम जान पाए हो

ना जान पाओगे।

वेदना और वियोग दोनों ही

तुम से अधिक ही मिला है।


मैं वंदना के काबिल थी

ये ना जान पाए हो।

मैं आज भी अपनी छोटी सी दुनिया में जीती हूं

मैं आज भी तेरे लिए जीती हूं।


ना तुम ये जान पाए थे ना जान पाओगे।

काश तुम को कोई समझता,

मेरी इज्जत करना कोई सिखाता।


नई नित कल्पना तुम मेरी करते हो

फिर मेरे ही अक्स को रोंद जाते हो।

मेरी कल्पना को नया एक आकाश दो

उड़न दो मुझे,

ना कि मेरे पर काट दो।


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