छुपा दर्द
छुपा दर्द
हम तो वो हैं जो
नकाब में छुपे चहरे का
दर्द जान लेते हैं।
कहते कुछ नहीं
जुबान से,
क्यूँकि अपनी कलम से
लोहा लेते हैं।
अंजाम चाहे कुछ भी हो,
ये ना सोचेंगे।
बस हम हर दर्द पर
लोहा लेंगे।
कुछ अंजाम तक
पहुँचाने लगे हैं।
किसी को अंजाम तक
पहुँचा देंगे।
आप की नीति होगी
बस वो ही देखना है।
बस थोड़ी सी देरी होगी,
ये ना समझ लेना तुम,
कि सोए होंगे हम।
हम उस रात भी जागे थे
हम अब हर रात ही जागेंगे।
जब तक तुमको ना पहुँचा देंगे जन्नत
हम तब तक हर रात ही जागेंगे।
समझ सको तो समझ जाओ
नकाब में छुपा दर्द कौन है,
अब तुम सब भी जान जाओ।।
