पथ दर पथ चलना होगा
पथ दर पथ चलना होगा
यूं ही नहीं मिलती मंजिलें
कदम तो बढ़ाना ही होगा,
एक पथ से दूसरे पथ पर
तुमको चलना ही होगा।
अगर डर का अहसास होता
पक्षी उड़ान नहीं भर पाता,
अगर डूबने का डर होता तो
बतख पानी से दूर चली जाती।
कांटे भी चुभेंगे इस पथ पर
पत्थर भी मिलेंगे राहों में,
आसान डगर होती मंजिल
फिर मजा ना आते जीने में।
कुछ लोग गिराएंगे तुमको
कुछ कदमों को बहकाएंगे,
मंजिल मिली तो उनके हो
वरना पराए हो जाओगे।
पथ दर पथ चलना होगा
दृढ़ निश्चित अपने इरादों से,
राह चलकर आ जाएगी
अपने अटल विचारों से।