चलो इक पेड़ लगाते हैं
चलो इक पेड़ लगाते हैं
चलो इक पेड़ लगाते है
धरा को खुशहाल बनाते है
फिर इक चलता राही आयेगा
जो चलते चलते थक जायेगा
उसी पेड़ की छाँव में आ कर
मन को शीतल कर जायेगा
देख हरी-भरी धरा को फिर
वो मंद-मंद मुस्कायेगा
हृदय होगा हर्षोल्लित उसका
जब पेड़ की ओर नज़र उठायेगा
जो लगे होंगे फल-फूल उस पे
थोड़ा चख कर भूख मिटायेगा
उसी पेड़ की छाँव के नीचे
हमें लाख दुआएँ दे जायेगा
चलो इक पेड़ लगाते है
धरा को खुशहाल बनाते है
