बढता चला चल
बढता चला चल
अपनी मंज़िल की लम्बी सीढ़ी
को देखते रहने से अच्छा है,
पहली सीढ़ी पर पैर रख कर,
नयी शुरुआत की जाए यारो,
जब जब कभी रात लम्बी हो जाती है,
सांसें थमती है, धड़कनें बढ जाती है,
आजमाइश में ही तो हौसले काम आते हैं,
हिम्मत ना हार, चल उठ, अब कदम बढा,
आखिर रात ही तो है, कट ही जायेगी।
एक गहरी सांस ले,
फिर चल उठ,
वक्त को ललकारा दे,
वो लाख सैलाब हो तो क्या,
लड़ने से पहले मरना क्या,
लक्ष्य है तेरा जीवन से बडा़,
फिर जीवन के आगे झुकना क्या।
कुछ भी नहीं है, जो खो जायेगा,
साल और वक्त ही तो है आखिर,
पहले भी कटा था, अब भी कट जायेगा।
लक्ष्य है तेरा जीवन से बडा़,
फिर जीवन के आगे झुकना क्या।
