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Nalanda Satish

Inspirational

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Nalanda Satish

Inspirational

फिनिक्स

फिनिक्स

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फिनिक्स 

एक काल्पनिक पक्षी

जो जन्म लेता है अपनी ही राख से

बार बार, 

जब भी लगता है उसे 

जिन्दगी आखरी सांस ले रही है 

वह करता है इकठ्ठा लकडीया 

खुद काे आग के हवाले करने के लिए 

और बैठ जाता है उन लकडियौं पर

सुंदर संगीत लहरीयों की धुन  

गुनगुनाता 

हुआ फिनिक्स

अपनी छिद्रो वाली चोंच से

आग के छल्ले निकालता है 

और राख हो जाता है 

फिर से जिन्दा होने के लिए


पहली पावस की बुंद 

जब पडती है इस राख पर

जी उठता है फिनिक्स फिर से

अपनी ही बुझी हुई राख से

है ना कमाल,

आप इसे चमत्कार कह सकते हैं 

मगर सच्चाई को नजर अन्दाज नहीं किया 

जा सकता 

लगता है हमारा भी जीवन

होना चाहिये इस फिनिक्स के समान

जो कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को

निभाते निभाते अपनी अधुरी

इच्छाओं के दामन में प्राण त्याग देते हैं 

उन्हे फिनिक्स बनकर 

फिर से होना चाहिये जिन्दा


समाज की खातिर

अपने लोगो की खातिर

इस अमानुष अत्याचार और 

अन्याय की खातिर

संविधान को बचाने की खातिर

बाबा के सपनो को जीने की खातिर

एक नया भारत बनाने की खातिर

अपने हक और अधिकार

अबाधीत रखने की खातिर

मानवता की खातिर

इन्सानों को इन्सानों से मिलाने की खातिर

बनना चाहिये हमे फिनिक्स

ताकि हम बार बार जन्म ले सके 

सच्चाई के साथ खड़े रहने की खातिर

बाईस हाथों का बुद्ध बचाने की खातिर

दिलों की सरहदों पर पंचशील लहराने की खातिर

बनना चाहिए हमे फिनिक्स

ताकि हम बार बार जन्म ले सके 

इस देश मे अमन चैन स्थापित करने की खातिर

फुलो की क्यारीयों को सजाने की खातिर

जातियों का जहर मिटाने की खातिर

इंसानियत को जिन्दा रखने की खातिर

बनना चाहिये हमे फिनिक्स

ताकि हम बार बार जन्म ले सके


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