उदासी
उदासी
कभी कभी ये मन
उदास क्यों हो जाता है
गुमसुम खोया रहने को
दिल को क्यों भाता है
कुछ काम किया तो ठीक है
नही किया तो उठकर
चला जाता है
कुछ पढ़ता हूं
गाने भी सुनता हूं
लेकिन उदासी का रहस्य
समझ नही आता है
खुद में डूब जाता हूं
जाने कहां खो जाता हूं
हर लम्हा मैं क्यों
चुप चुप सा रहता हूं
सोचता हूं
दास्तानें नायाब होती होगी
किसी जमाने में
मैं अपने ही इतिहास में
खोया जाता हूं
रुक रुक कर
मैने सिसकियां ली
जुबां की आवाज से
मैं घबराता हूं
रात अंधेरी है
निकल ही जायेगी
सुबह के इम्तिहान में
फिर से जुट जाता हूं
हलक तक दर्द से
तिलमिलाया हूं मैं
जख्म खा खाकर
रुलाया जाता हूं
ऐसा नहीं है कि
उससे फलसफे हो
कोई दर्द चुभता है
उसे सीने में छुपाए
मैं चला जाता हूं
गहरी सांस लेता हूं
मैं तन्हा यहां
किसी की बेरुखी से
सताया जाता हूं
आवाज आती है
बंद दीवारों से
गम को लिए मैं
मुस्कराए जाता हूं.