ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
ऐसे तो कई फैसले लिए है मैंने ज़िन्दगी में,
ये कुछ नया ही फैसला था,
लोग अक्सर जीना छोड़ देते है,
मैंने बस जीना शुरू किया था।
काफी जद्दोजहद के बाद कुछ हासिल किया है,
मरना गवारा नहीं इसलिए अभी जीना शुरू किया है,
मारके भी क्या फ़ायदा होता मेरा,
जहा रुका हूँ वही से ही चलना शुरू किया है।
ये ज़िन्दगी का खेल भी बड़ा निराला है,
हार जाओ तो लोग कहते है कोई नहीं
कर लो एक नई शुरुआत।
लगता है जैसे ये दुनिये के मैदान में ज़िन्दगी एक खेल है और हम उस के खिलाड़ी,
क्या हार जाए तो हो जाएगी एक नई शुरुआत हमारी ?
लोग कहते है की ये ज़िन्दगी की दौड़ में तेज़ नहीं भागोगे तो पीछे रह जाओगे,
पर क्या फ़ायदा आगे रहके भी जब कही नहीं पहुॅंच पाओगे।
पता नहीं चल रहा की सबको किस बात की जल्दी है,
न रिश्ते संभल पा रहे है न खुद को,
बस गिरते - पड़ते भागे जा रहे है।
मेरा मन्ना है रफ़्तार उतनी होनी चाहिए की तुम दौड़ सको,
गिर सको,
वापिस खड़े हो सको और जहा पहुॅंचना हो वहा पहुँच सको।
ज़िन्दगी तो एक जाम की तरह है,
या तो एक बार में जी लो या तो ख़ुशी ख़ुशी अनुभवों का पानी मिलाते हुए।
ज़िन्दगी को देखने का नज़रिया बदलो,
या तो छोड़ दो,
या सही ढंग से जी लो।
ज़िन्दगी एक सीख देती है,
जिना हो तो कछुए की तरह जिओ,
वरना खरगोश की तरह आगे भागने का कोई फ़ायदा नहीं,
जहा जीत के भी कुछ हासिल नहीं।
इस ज़िन्दगी में अपना कुछ भी नहीं,
न गाड़ी न घर,
और तो और मरने के बाद भी ४ कंधे किसी और के ही होते है।
लोग तो खामखां ज़िन्दगी को बदनाम करते है,
ज़िन्दगी से हसीं कुछ नहीं,
ज़िन्दगी में कमी कुछ नहीं।
ज़िन्दगी तो है बस दो पल की,
आज जी लो,
क्या पता कल शायद तुम नहीं,
शायद ज़िन्दगी नहीं।
