स्वप्न एक ख्वाब
स्वप्न एक ख्वाब
नींदों में मिठास, घोलते है ख्वाब,
इच्छाशक्ति भी, टटोलते है ख्वाब,
बंद आँखो में कोई, सच्चाई नहीं
खुली आँखो में, अक्सर बोलते है ख्वाब,
मन की व्यथा में, तड़प बनते है ख्वाब,
जिंदादिली में, झड़प बनते है ख्वाब,
मक्कार, कल्पित मनुष्यो में तो
जीवन भर पीड़ा व तप बनते है ख्वाब,
चेतावनी सूचक, समझे है जाते,
ज्योतिष में इनसे, भविष्य भी बताते,
हालात जैसे भी जीवन में होते,
ज्यादातर नीदों में वैसे ख्वाब आते,
ख्वाब जब भी, हकीकत से टकराते है,
खुद को असहाय, नीरस ही पाते है,
सक्रियता-जाग्रता, इनमे न हो तो,
सिर्फ एक झूठा, जमाना दे जाते है,
एक सच्चा ख्वाब लोगो को, सोने नहीं देता
कल्पना व संशय, संजोने नहीं देता,
भाव, विचार व अनुभूति इसी में
सच्चा ख्वाब हसरत खोने नहीं देता,
ख्वाब कभी कोई, इशारा नहीं
भाग्य या, जीवन की धारा नहीं,
हिम्मत व ताकत, रब की कृपा,
कर्म और मेहनत बिना, सहारा नहीं...!!!
