धृष्टता
धृष्टता
लालटेन का शीशा
फूटा हुआ है
कागज़ के टुकड़े को
उस फूटे हिस्से पर
चढ़ा दिया गया है
बर्नर खराब है
बत्ती ऊपर नहीं चढ़ती
रोशनी मद्धम है
फेकुआ का बेटा कमलू
किसी तरह
तुतली आवाज़ में
अपनी मनपसंद कविता का पाठ कर रहा है
बाहर से
कुछ आवाज़ आती है
वह सुन नहीं पाता है
अपनी अवहेलना से
आवाज़ को
गुस्सा आ जाता है
दुबारा कान के पास
आने के
वह
उसके गालों पर
चढ़ जाती है
जी हाँ
खेत से थका लौटा फेकुआ
उसे
एक झन्नाटेदार थप्पड़
रसीद करता है
'साला पढ़ता है
जा रोटी प्याज ले आ'
कमलू रोता नहीं
अपनी अधूरी कविता निहार
वह चुपचाप
उठ जाता है
उसकी कविता
अधूरी रह जाना
और उसकी आँखों से
आँसू न आना
उसकी रोज़ की
बेबसी नहीं है
उसका बाप
फेकुआ मानता है
यह उसकी रोज की धृष्टता है।
......