मौत का फरिश्ता ..
मौत का फरिश्ता ..
वक़्त ने ये कैसा मोड़ लिया
कैसा ये फरिश्ता आया
कि ज़िंदगी ने जीना छोड़ दिया ....
मुझको गले लगाके
मेरी हर साँस को तोड़ दिया...
"चल तू नए सफर पे"
कह कर ज़िंदगी से नाता तोड़ दिया...
हर दर्द था जो जिस्म का उसे मोड़ के
मुझे सुकून से जोड़ दिया ...
"ए इंसा..ख़ुल्द तक में तेरा.... हमराही"
ऐसा आखिरी वक़्त पे बोल दिया .....।