शुक्राना
शुक्राना
इंद्रधनुषी रंगों से ताज सज रहा है
रुझान खुदा की ओर
खुदा से दोस्ताना हो रहा है।
पाकीज़गी से रूह का साथ बन रहा है
जुबां पर बस खुदा का नाम,
खुदा से कुर्बत,
हाथों की लकीरें बदल रहा है
दुख का अब घर उजड़ रहा है।
खुदा का ही बेतहाशा जिक्र हो रहा है
शुक्राना मिजाज बन रहा है।।