सनम
सनम
नींद में भी जागने का तू बहाना है सनम
आशिक़ी में तेरी मेरा दिल दीवाना है सनम।
वस्ल के ये दिन सुहाने कट रहे आराम से
ज़िंदगी यूँ ही तेरे सँग बस बिताना है सनम।
कान में मिश्री सी घुल जाती है जब तू बोलती
लफ्ज़ तेरे लब से निकला इक तराना है सनम।
आज तक जाने न कितने गीत मैं हूँ सुन चुका
तू जो गाती गीत वो लगता सुहाना है सनम।
चाँदनी रातों में तेरा हाथ थामें मैं चलूँ
आसमां के चाँद को यूँ ही जलाना है सनम।