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Ranjana Sharma

Romance

4.8  

Ranjana Sharma

Romance

रिमझिम झड़ी

रिमझिम झड़ी

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सौंधी सुगंध माटी की

आती जरा ठहर जाती

उनके आवन का मीठा

संदेश जरा सा दे जाती।


छज्जे बदरी को देखा

तनमन ताजी लगी हवा 

टिप-टिप पानी की बूँदें

लगता कुछ कहती जाती।


पी तो नदिया पार बसा

नदिया चढ़ी बड़ी भारी

तू कह, क्या कहना चाहे

हाल तेरा बतला आती।


मेहर बड़ी, काली बदली!

मैं लिखूं पी को ये पाती

पहली बारिश पड़ी यहाँ

याद ना अब सही जाती।


बदरा से मिले सुनयना

दिन बीते ना पड़े चैना

दुबकी धरा हटा घुंघटा

देखत बने घटा -छटा।



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