STORYMIRROR

Nisha Nandini Bhartiya

Romance

3  

Nisha Nandini Bhartiya

Romance

सावन की झड़ी

सावन की झड़ी

1 min
658

लो फिर आ गई सावन की झड़ी

मोहन के इंतजार में राधा है खड़ी।


करके सोलह श्रृंगार राधा

मन मोहन की टेर लगाए,

झूला झूले सखियाँ प्यारी

गावें गीत मल्हार दुलारी।


सावन की ऋतु आई

घनघोर घटा नव छाई,

ठंडी- ठंडी पड़े फुहारें

तन- मन हर्षा जाए।


प्यारी कोयल कूक रही है

क्यारी क्यारी गूँज रही है,

सुनकर मेघो की गर्जना

दिग दिगंत छटा छा गई।


आस लिए खड़ी विरहणी

घर की चौखट पर हर्षाये,

उचक उचक फिर देख रही

अभी तक पिया नहीं आए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance