आँखें
आँखें
काली काली सहमी आँखें,
पलकें जिनका आँचल आँखें।
रुत जब ग़म की आती है,
अक्सर भीगी नम सी हो जाती आँखें।
देख कोई दिलकश ख़्वाब,
मदहोश सी हो जाती आँखें।
कैसे कैसे रंग बदलती,
जाने क्या क्या कहती आँखें।
दिल को जब कोई चोट पहुँचाये,
झिलमिल झिलमिल बरसती आँखें।
कभी कभी कुछ बातों को,
छुपा लेती है ये गहरी आँखें।
रात भर याद में जग रही थी,
सुबह की बोझिल बोझिल आँखें।
खोये हुए किसी साथी को ,
ढूंढे बेचैन- बेकल आँखें।
टीस जब दिल में उठती है,
बिन सावन के रिमझिम बरसती आँखें।