ख्वाहिश
ख्वाहिश
जाओ के बार बार नहीं एक बार आए ,
लेकिन तुम्हारे होश को मेरा खुमार आए
अशआर अपने लब पे सजा लो कभी जो तुम,
फिर बे करार मेरी ग़ज़ल को करार आए ।
यादों में तेरी डूबती रहती हूं मैं सदा
बेचैन दिल को मेरे तुझी से करार आए
देखूं मैं आईने में सनम जब भी तेरा अक्स
आंखों में नूर चेहरे पे पल पल निखार आए
बुझती हुई हयात की ख्वाहिश है आखिरी
अब वो ही आए पास ना ये इंतज़ार आए
ऐलान है अनन्या का सुन लो तुम्हारे बाद
देखा कहीं नहीं कोई जिसपे की प्यार आए