आँखें खुली दिल टूट गय
आँखें खुली दिल टूट गय
आँखे खुली, दिल टूट गया,
अपना कोई वादे से रुठ गया।
नदियाँ समंदर के प्यार मैं तड़पी,
रुह इतना रोई दिल पिघल गया।
कर बैठा मन कितने सवाल,
जब मैंने प्यार करने की ठानी।
लब्ज़ के अल्फ़ाज़ बिखर गए,
प्यार मैं कोई अपना लूट गया।
अजीब थी वो रात प्यार का इज़हार हुआ,
तुम आये थे हवा की तरह इशारा देके चले गए।
लब्ज़ की जिंदगी खाली रह गई,
तुम अंजान गली में छोड़ गए थे।।