हमारी महौब्बत अधुरी रह गई
हमारी महौब्बत अधुरी रह गई
रंग था, वख्त था, पास होकर भी एक दुजें मैं उतर न पाये, ए क्या हुआ हमारी महौब्बत अधुरी रह गई।
मंजिल एक अधुरी सी कहानी बन गई, बातें भी एक कहानी बन गई,
प्यार सच्चा था,
पर क्यु रही हमारी महौब्बत अधुरी रह गई।
वखत की धडी एसी, उपहास कर गई, हम साथ हो कर भी एक दुजे के हो न शके, हमारी महौब्बत ईतिहास की कहानी हो गई,
साल बीते, युग का पहीया घूम गयाँ, पर पास होकर भी बारिश में भी हम सुखे के सुखे ही रह गए, हमारी महौब्बत भी श्याम राधा कि तरह अधुरी ही रह गई,
एकदुजे को महेसुस करना,
अच्छा लगता है, आखरी साँस तक
अधूरा मिलन पुरा होने की प्रतिक्षा करना, एक दुजे की यादों मे तडपना तो हुआ पर साथ जिंदगी बीताने की आश तो एक पहलु बन गई, अधुरी महौब्बत हमारी मश्हूर कहानियों की index हो गई, सच्चा प्यार हंमेशा अधूरा ही रहता हे, सीता जैसे राम की, राधा जेसे कान के लिए रोई थी, जैसे सती अपने शिव की चाहत में
खुद को अग्नि को सोप दिया,
वेसे हमने भी खुद को वखत की झोली मेँ रख दिया, हमारी कहानी भी अधूरी सी रह गई, आपकी चाहत में हम तैरते तैरते भी डुब रहे थे, न जानै क्यूँ हमारी महौब्बत अधूरी सी रह गई थी।