बेटी जल्दी बड़ी हो जाती है
बेटी जल्दी बड़ी हो जाती है
घर-परिवार की जिम्मेदारी में ज़िन्दगी उलझ जाती है
बचपना छोड़के एक लड़की जब गृहिणी बन जाती है
जो लापरवाही से बिस्तर पर जब चाहे पसर जाती थी
अब अलार्म के बजने से काफी पहले ही जाग जाती है
पानी का गिलास भरना भी जिसके लिए पीड़ाकारी था
आज हर एक सदस्य के पसंद का भोजन पकाती है
जींस-टीशर्ट जिसका पसंदीदा पैरहन हुआ करता था
उसे छोड़कर नौ ग़ज़ की बनारसी साड़ी वह बांधती है
परंपराएँ निभाने में वह खुद की पहचान भूल जाती है
और लोग कहते हैं कि बेटी तो जल्दी बड़ी हो जाती है।
*पैरहन-वस्त्र, पहनावा