दुनिया से नफ़रत करो
दुनिया से नफ़रत करो
ये जाति, धर्म, मजहब, सम्प्रदाय के
नाम से लड़ने वाले, लोगों की
मानसिकता को विकलांग
बना दिया जाता है।
बचपन की उम्र से ही,
इन्हे दुनिया से नफ़रत करना
सिखाया जाता है।
जब तक ये
समझने लायक होते है,
तब तक इनके अंदर
नफ़रत का बीज
अंकुरित हो जाता है,
और एक आतंकवादी
का पौंधा बन जाते है।
आतंकवादी की कोई
जाति नहीं होती,
उनका मकसद सिर्फ
आंतक होता हैं।
इनका ना कोई
परिवार, ना रिलेशन
ना माता-पिता
सिर्फ मौत से
ज्यादा कुछ नहीं
सिखाया जाता है।
कितनी तकलीफ़
होती है मुझे,
जब एक मासूम को
ये सिखाया जाता है,कि
दुनिया से नफ़रत करो।