भरोसे का हाथ
भरोसे का हाथ
इन हाथो में गर तुम मुझे तुम्हारा भरोसे से भरा हाथ दे दो
लकिरो की तकदीरें दोनो के हाथों की यूँ बदल सकता हूँ मैं
मेरी आँखों में तुम झांक कर पलभर भी अगर ठहर सकते हो
तो इस समय की तेज रफ़्तार को भी अभी ठहरा सकता हूँ मैं
किसी ग़ैर के मरासिम से संवर सकती है अगर ज़िंदगी मेरी
तो ये तथाकथित अपनो को भी एक पल में ठुकरा सकता हूँ मैं
अपने भीतर के जुनून का हुक्म मुहोब्बत भरे अल्फाज़ से
सुना सको हमको तो खुद तामीर बनके पेश आ सकता हूँ मैं
अभी तो करने के लिए कुछ भी तो कहाँ किया है हमने कुछ
तुम कुछ करो तो नामुमकिन को मुमकिन कर सकता हूँ मैं
हमारी इल्तिजा के सामने नज़रे तुम्हारी झुक जाए इक़रार में
छोड़कर खुदा को तुम्हारे सजदे में ये सर भी झूका सकता हूँ मैं
"परम" इश्क की हद तक गर एक कदम भी बढ़ सको आगे तुम
हुश्न-ए-परवरदिगार के रूप में बेहद "पागल" बन सकता हूँ मैं