Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

जन्नत

जन्नत

1 min
332


दैर-ओ-हरममें हमे जन्नत के खूबसूरत धोखे मिले,

और दीदार ए यार से ज़मीन पे ही जन्नत के मौके मिले !


वो खम पे अटकी नज़रे हमारी, बस अटकी ही रही,

तेरे हुश्नकी वादियो में हमें महकती सबा के झोंके मिले !


रास्ता भूल गए हमारे शहर के मैख़ाने का उसी रोज़ से हम,

जिस दिन से तेरी आँखों से पी कर लड़खड़ाने के मौके मिले !


तेरे बाद अब याद कर रहे तेरा वो मुस्कुराता हुवा चहेरा,

कैसे बताए अब तन्हाईओं में एक सुकून हमें रो रो के मिले !


एक "परम" जन्नत रोज़ उतरती रही तेरे हसीन पहलूमें,

अब दर दर भटकते रहे हम तेरे लिए "पागल" हो हो के !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract