STORYMIRROR

Gordhanbhai Vegad (પરમ પાગલ)

Romance

2  

Gordhanbhai Vegad (પરમ પાગલ)

Romance

पागल हसरत

पागल हसरत

1 min
148

तेरे काँधे पे सर अपना झुका कर रोने की हसरत अभी बाकी है,
दामन को तेरे भिगो दूँ ऐसे पिधलने की हसरत अभी बाकी है !

मोहब्बत में तोहफ़े देंगे तहोमत के हमें ये ज़ालिम जमाने वाले,
इश्क़ के दामन पे लगे दाग आँसुओं से धोने की हसरत अभी बाकी है !

मैं मैं न रहूँ तू तू न रह जाए-कब होगी खत्म ये  बेताबियाँ,
तेरे आँचल मे ख़ुद को खो कर तुझे पाने की हसरत अभी बाक़ी है !

क्या लम्हा क्या वक़्त क्या उम्र क्या जिंदगी मोहब्बत में,
तुझपे मर मिट कर जिंदगी जिनेकी हसरत अभी बाक़ी है !

चाह नहीं रही अब कोई मुझे क़ायनात से तुझे चाहने के बाद,
मेरी दुआओं में ख़ुदा से तुझ को माँगने की हसरत अभी बाकी है !

"परम" मोहब्बत के बाज़ार में नीलाम हो जाऊँगा तेरी ख़ातिर
तू मुझे ख़रीद ले तो बिक जाने की "पागल" हसरत अभी बाकी है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance