पागल हसरत
पागल हसरत


तेरे काँधे पे सर अपना झुका कर रोने की हसरत अभी बाकी है,
दामन को तेरे भिगो दूँ ऐसे पिधलने की हसरत अभी बाकी है !
मोहब्बत में तोहफ़े देंगे तहोमत के हमें ये ज़ालिम जमाने वाले,
इश्क़ के दामन पे लगे दाग आँसुओं से धोने की हसरत अभी बाकी है !
मैं मैं न रहूँ तू तू न रह जाए-कब होगी खत्म ये बेताबियाँ,
तेरे आँचल मे ख़ुद को खो कर तुझे पाने की हसरत अभी बाक़ी है !
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क्या लम्हा क्या वक़्त क्या उम्र क्या जिंदगी मोहब्बत में,
तुझपे मर मिट कर जिंदगी जिनेकी हसरत अभी बाक़ी है !
चाह नहीं रही अब कोई मुझे क़ायनात से तुझे चाहने के बाद,
मेरी दुआओं में ख़ुदा से तुझ को माँगने की हसरत अभी बाकी है !
"परम" मोहब्बत के बाज़ार में नीलाम हो जाऊँगा तेरी ख़ातिर
तू मुझे ख़रीद ले तो बिक जाने की "पागल" हसरत अभी बाकी है