ज़िन्दगी उदास लम्हों की कहानी
ज़िन्दगी उदास लम्हों की कहानी
ग़म की चादर ओढ़ दिल बहला रहा हूँ |
आँख में आंसू छिपाए गा रहा हूँ |
आशियाँ मैंने बनाया फिर नया इक,
रक्स करने बिजलियाँ बुला रहा हूँ |
ठोकरें खाईं हैं इतनी ज़िन्दगी में,
अब सुकूं ही ठोकरों से पा रहा हूँ |
मौत से जब से हुआ है दोस्ताना,
ज़िन्दगी नज़दीक अपने पा रहा हूँ |
ज़िन्दगी उदास लम्हों की कहानी,
'गुलाब' तुम ही सुन लो, मैं सुना रहा हूँ |