STORYMIRROR

pooja bharadawaj

Abstract Inspirational

4  

pooja bharadawaj

Abstract Inspirational

ए जिंदगी

ए जिंदगी

1 min
412

मुंडेर पर खड़ी देखती रही

रेत सी फिसलती जिंदगी

लम्हा लम्हा वो हर पल हाथ

से छूट रही यूं जिंदगी


कोई तो हो चमत्कार

जो थाम लूं मैं अपनी जिंदगी

नहीं जाने दे सकती 

अपने ही सामने यूं बेशकीमती जिंदगी


कोई पूजा पाठ हो

कोई हो मंत्र तंत्र 

कोई तो मुझे उपाय बताएं

कैसे अपनी बांहों में भर लूं

अपनी ये प्यारी सी जिंदगी


नहीं देख सकती और तड़पते हुए

जिससे जरूरत हो 

वो ले जाए मेरी ये आंखो को रौशनी

क्या करूं इन नयन का 

जो अपने जीवन को

रेत की तरह फिसलता देख रही है


लब ख़ामोश है,इल्तज़ा मेरी है 

कोई तो दुआ में हाथ उठाओ

जिसकी दुआ कबूल हो

और मेरी भी उम्र लग जाए

मेरी ही आखरी सांसों तक

मेरी ही हो जाए जिंदगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract