वक़्त गुज़र गया
वक़्त गुज़र गया
क्या मिला मुझे साथ तेरे वक़्त गुज़ार कर
तू चला ही गया आखिर तन्हा छोड़ कर।
हो गयी थी आदत मुझे तेरे साथ रह कर
फिर क्यूँ चला गया मुझे आदी बना कर।
देखा गया था जो ख़्वाब साथ मिल कर
ताबीर बाक़ी है अभी, ख़्वाब अधूरा न कर।
क्या मिला तुझे मेरा हाथ ख़ाली कर कर
तेरा भी हाथ ख़ाली तो मेरे हक़ में दुआ कर।
मिलें हम अगर कभी किसी मोड़ पर
मुस्कुरा के चल देना बस नज़रे मिला कर।
वापिस आना चाहता हूँ फिर उसी राह पर
आज भी वही खड़ा हूँ जहाँ गया था छोड़ कर