STORYMIRROR

Adil Ahmad

Romance

2  

Adil Ahmad

Romance

हर दिल अज़ीज़

हर दिल अज़ीज़

1 min
142

जुस्तजू के बाद भी जो मुकम्मल न हो सकीं

तेरा नाम भी उन्हीं आरजुओं में था।


इस जुस्तजू में किसी को वक़्त न दे सकें

वरना तो मैं सभी का हर दिल अज़ीज़ था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance