Adil Ahmad

Others

4.5  

Adil Ahmad

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ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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ऐ ख़ुदा यह कैसा दस्तूर ए ज़िन्दगी है

चाहत ऐसी की पूरी ज़िन्दगी है।

चाह मुकम्मल नहीं दस्तूर ए मआशरे से

ख़त्म कर दो दस्तूर यह, मेरी ज़िन्दगी है

फ़ैसला नहीं कर पाता तू लोगों के डर से

ख़ौफ़ ए ख़ुदा दिल में हो पता नहीं कल ज़िन्दगी है

जो बात दिल में है उसे न रख तू पोशीदा

कहतें है मशवरे से बनती ज़िन्दगी है

चाहता है जो पाले उसे कोशिश से, फिर

गिला न करना कि निदामत भरी ज़िन्दगी है



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