लौंट चलों अखिलेश की ओर
लौंट चलों अखिलेश की ओर
टूट रही विकास की डोर,
सुरच्छिंत नही रहा कोई ठौंर,
लौंट चलो अखिलेश की ओर।
मौत बन गई
अब तो जेल,
कानून, व्यवस्था, हो गई फेल
होगी फिर से नई भोर,
लौंट चलो अखिलेश की ओर।
जर्जर हो गई
अब हर उम्मीद,
आती नही है,
आंखों में नींद,
जाओगे अब तुम किस ओर,
लौंट चलो अखिलेश की ओर।
मझधार में ढूबेगी
आपकी पतवार,
माझी ही होगा गर अनपढ़ - गवार
फिर से लगेगा आपका जोर,
लौंट चलो अखिलेश की ओर।
टूट रही विकास की डोर,
सुरक्षित नही रहा कोई ठौंर,
लौंट चलो अखिलेश की ओर।