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Anita Sudhir

Drama

3  

Anita Sudhir

Drama

गलियां

गलियां

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शहरों की इन गलियों में, जीवन के दृश्य निराले 

बिजली के फैले तार, मस्त रहते ये घर वाले 

आ बैठती है इन पर कभी कभी सुंदर चिड़ियां।

महानगरों की ये गलियां।


सड़कों पर भीड़ बड़ी, इनकी अपनी दुनिया है,

रिक्शा ठेले से लेकर चलते यहाँ चौपहिया हैं 

 कानून ये माने नहीं यहां न यातायात सिपहिया 

महानगरों की ये गलियां।


विज्ञापन से पटी दुकानें, जीवन की आपाधापी 

चार पैसे कमाने की जुगत, पेट तो सबका पापी 

विभिन्न तरह के लोग,इसी में कोई छलिया।

महानगरों की ये गलियां।


रिश्तों का अर्थ,यहाँ चाची,बुआ रहतीं हैं

शहरों की गलियों में, सुख दुख साझा करतीं हैं 

हाथ थामे एक दूजे का, सभी यहाँ सखियां

महानगरों की ये गलियां।


खट्टे मीठे पकवानों की सुगंध यहाँ बसती है,

जीवन की मिठास से ये गलियां सजती हैं

चाट बताशे खाती फुटपाथ पर खड़ी मुनिया

महानगरों की ये गलियां।


भौतिकता से दूर,अस्त व्यस्त जीवन इनका

अपनत्व के छत्र से सजा संसार है इनका

दरबे जैसे घर ही इनके बड़ी बड़ी हवेलियां

महानगरों की ये गलियां।


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