कोई है खरीदार, मैं जज़्बात बेचता हूँ,
कोई है खरीदार, मैं जज़्बात बेचता हूँ,
कोई है खरीदार, मैं जज़्बात बेचता हूँ,
कोई है मेरे इंतज़ार में, मैं इंकार देखता हूँ,
अब सोचकर रखता हूँ कदम मंज़िल की ओर,
हर साये से डरता हूँ, जब इकरार देखता हूँ,
कोई है खरीदार, मैं जज़्बात बेचता हूँ,
सावन का महीना है मैं प्यार बेचता हूँ,
हो जाये न कोई मेरा अपना बेगाना यहां,
मैं इस दुनिया के बाज़ार में इज़हार बेचता हूँ,
कोई है खरीदार, मैं जज़्बात बेचता हूँ,
ज़िंदगी से हारा हुआ तनहा किनारा हूँ,
दूर से बैठ कर किश्ती की पतवार देखता हूँ,
कितने लोगों को सहारा दिया किनारा देखता हूँ,
डूबता हुआ सितारों का इशारा देखता हूँ,
कोई है खरीदार, मैं जज़्बात बेचता हूँ,