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Madhu Gupta "अपराजिता"

Inspirational Others

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Inspirational Others

"बेरोजगारी "

"बेरोजगारी "

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कहने को तो देश मेरा आत्मनिर्भर कहलाता है, 

बातें भी विकास की हर जगह आए दिन होती रहती हैं , 

ये बात भला कितनी सच्ची, इसका आत्ममंथन क्या होता हैं, 

देश की अर्थव्यवस्था देख कर बात एक सच्ची लगती हैं, 

 बेरोजगारी दिन पर दिन देश में अपने पैर पसारे खड़ी हो जाती है....!! 

चाहे पढ़ा-लिखा वर्ग हो या गांव का मजदूर वर्ग ही है, 

 हालत दोनों ही की खस्ता अपने अपने क्षेत्र में हो रही हैं, 

दोनों ही त्रस्त बहुत देश में फैली बेरोजगारी की मार से है, 

बाहर निकल कर देखो तो कितने डिग्री लेकर दौड़ रहे हैं, 

पाने मनचाही नौकरी की अभिलाषा मन में ले कर हैं ....!! 

जब भी देखे अखबार में निकला कोई इश्तहार है,  

नौकरी की तलाश में ऑफिस झट से पहुंच वो जाते हैं, 

 इंटरव्यू देने के लिए जब खड़े होते ऑफिस के बाहर है, 

देख के लंबी लाइन बड़ी हो जाते थोड़े हताश से हैं....!! 

 आएगा नंबर उनका भी मन को ये झट से समझाते हैं, 

उस पर सुबह से लेकर शाम तक डटे वहाँ वो रहते हैं, 

इसके बाद भी नंबर ना आ पाता जाने कितनों का है, 

खाली हाथ होकर निराश वापस घर को जाते हैं, 

कभी-कभी तो होकर मजबूर वहीं कहीं सो जाते हैं....!! 

जब बजती है फोन की घंटी माँ का नंबर देखते हैं , 

आँसू आँख से उस वक्त छलक कर यही बस कहते हैं, 

 उस वक़्त मन कुंठा से अपार भर कह उठता है, 

हार के अभी सारी डिग्रियों को आग यही लगा देते हैं....!! 

 बेरोजगारी विकट समस्या आज देश में खड़ी हुई है, 

जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए 

नहीं तो वह दिन देश से दूर नहीं लगता है 

नहीं तो कितनों के घर के चूल्हे जले बिना बुझ जाएंगे....!! 



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