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Ajay Gupta

Tragedy

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Ajay Gupta

Tragedy

खलनायक भारत के

खलनायक भारत के

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जात-पात पर लड़वाते हो

धर्म नाम पर बंटवाते हो

खलनायक हो भारत के तुम

लोकतंत्र के हत्यारे हो


कल तक जिसके दुश्मन थे तुम

आज उसी के गुण गाते हो

सत्ता की राहों में होकर

नंग-धड़ंगे बिछ जाते हो

सेवा को व्यापार किया है

एक तरह के तुम सारे हो

खलनायक हो भारत के तुम

लोकतंत्र के हत्यारे हो


कैसे तुम को लीडर कह दें

पड़े ज़रूरत छिप जाते हो

पाँच बरस तक अपनी सूरत

कहाँ हमें तुम दिखलाते हो

मन के हो सब के सब काले

उजले कपड़े ही धारे हो

खलनायक हो भारत के तुम

लोकतंत्र के हत्यारे हो


बागडोर तुमको हम सौंपे

तुम मनमानी कर जाते हो

कर के बेहाल हमें जाने तुम

कैसे ख़ुश-ख़ुश रह पाते हो

सिर से पानी गुजरा जब भी

याद रखो तब ही हारे हो

खलनायक हो भारत के तुम

लोकतंत्र के हत्यारे हो।


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