तीज (पोवारी कविता)
तीज (पोवारी कविता)
भया रहेती पुर्वज
येन गरमीमा प्यासा |
तृप्त करन उनला
भर सेजन करसा ||१||
साढ़े तिन मुहूर्तमा
एक मुहूर्त से तीज |
कामकाज किसानीका
सुरु करसेती अज ||२||
परशुरामको जन्म
आय तीजको दिवस |
महा भारत लिखनो
सुरु करीतीन व्यास ||३||
तीजलाच पृथ्वीपर
गंगाजीको आगमन |
त्रेता युग सुरुवात
होतो अजकोच दिन ||४||
येन दिन सुदामा न्
पोहा कृष्णला देईस |
बदलामा अविनाशी
धन दौलत पायीस ||५||
कृष्ण अक्षयको पात्र
देसे तीजको दिवस |
शांतीलका पांडवन्
गुजारीन बनवास ||६||
पुंजी पुण्यकी बढाओ
करो वृक्ष संवर्धन |
पाणी प्यासोला पिवावो
देवो प्राणीला जीवन ||७||
